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Jyoti Dhankhar

Abstract

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Jyoti Dhankhar

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भारतीय नारी

भारतीय नारी

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भारतीय नारी की पहचान अब बदल रही है 

वो वक्त के साथ खुद को ढाल रही है 


नहीं बस छुपी रहती है वो पल्लू की ओट में 

कंधे से कंधा मिला वो भी तनख्वाह घर ला रही है


घर से बाहर तक वो निरंतर दौड़ रही है 

सुपर वूमन अब वो कहला रही है 


अपने हक को अब वो हक समझ रही है 

ना रिश्तों में अब खुद को वो मार रही है 


भारतीय नारी अब खुद की पहचान बना रही है 

बच्चों, पति के नाम के अलावा खुद के नाम से जानी जा रही है 


कहां बस वो रहती थी घर की चारदीवारी में 

अब तो चांद पर भी अपनी जगह बना रही है 


कहां सीमित थी उसकी दुनिया चूल्हे चौके तक 

अब फौज में भी अपने जौहर दिखा रही है।


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