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Amit Kumar

Tragedy

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Amit Kumar

Tragedy

भारत

भारत

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मेरे ख्वाबों का रँगीन भारत

बोलो अब कहाँ है

जो दिल में धड़कन सा बसता था 

वो अजीज भारत

बोलो अब कहाँ है

जहाँ हिन्दू न मुसलिम

न सिख न ईसाई

सिर्फ भाई -भाई रहते थे

रिश्तों की पहचान वो भारत

बोलो अब कहाँ है

जहां गुरबत कोसों दूर रहती थी

सोने की चिडिया बनकर

खुशियां सिरमौर रहती थी

कश्मीर से कन्याकुमारी तक

बस राष्ट्रगान चलता था

मेरे देश का ध्वज 

वीरों की शान हुआ करता था

शूरवीरों की शहादत का वो भारत

बोलो अब कहाँ है........

  


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