भारत रहना चाहिए
भारत रहना चाहिए
मैं रहूं या ना रहूं, भारत ये रहना चाहिए,
देशभक्ति का लहू, रग-रग में बहना चाहिए।
जाति, धर्म, बोलियों के शूल को उखाड़ दो,
सिंह जैसी गर्जना से, शत्रु पर दहाड़ दो,
हर नौजवान की नसों में, रक्तिम उबाल चाहिए,
मैं रहूं या ना रहूं, भारत ये रहना चाहिए।
अस्मिता पर दृष्टि डाले, जो भारत की नारी की,
चील जैसे नोंच लो, आँख उस अत्याचारी की।
मुझे इस मातृभूमि से वीरांगनाएँ चाहिए,
मैं रहूं या ना रहूं, भारत ये रहना चाहिए।
जननी है, जन्मभूमि है, ये स्वर्ग से महान है,
किसान हो, जवान हो, ये सब ही इसकी शान हैं।
प्राण भी मैं वार दूँ तो, कम हैं मातृभूमि पर,
पुण्य होंगे कुछ बड़े, जो जन्म मिला इस भूमि पर,
माँ भारती के मस्तक पर सदा, विजय तिलक ही चाहिए,
मैं रहूं या ना रहूं, भारत ये रहना चाहिए।