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Pinkey Tiwari

Inspirational

4.5  

Pinkey Tiwari

Inspirational

माँ

माँ

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यूँ तो मैं तेरी जाई माँ, तेरी ही परछाईं माँ,

धन्य समझ लूँगी खुद को, जो तुझ सा मैं बन पाई माँ । 


तू है तो हरदम थाली में, रोटी गरम ही आई माँ, 

भर के सबका पेट हमेशा, तूने बासी रोटी खाई माँ ।


बीमार पड़े तो हरदम तूने, कड़वी गोली खिलाई माँ,

उस गोली की कड़वाहट में, दुनिया की छवि दिखाई माँ।


ईंट का जवाब पत्थर से, ये सीख न कभी सिखलाई माँ,

जो फेंकी जिसने भी ईंटें, तूने उस से नींव बनायीं माँ।


जब झूठ कभी पकड़ा मेरा, तूने मीठी चपत लगाई माँ,

वो मीठी चपत लगा के, सत्य की राह दिखाई माँ।


मुझ नखरीली के नखरों से, तूने थाली सदा सजाई माँ,

झूठन मेरी खाकर मुझ को, अन्न की कदर सिखाई माँ।


उजले कपड़े पहनाती तू, भाती तुझ को खूब सफाई माँ,

उजले कपड़े पहनाकर, चरित्र की समझ समझाई माँ।


नंगे पैर जब भी दौड़ी मैं, तू पीछे-पीछे आई माँ ,

काँटो से मुझे बचाने को, जूती तूने पहनाई माँ । 


सुन्दर-सुन्दर फ्रॉकों में तूने, हाथों से लेस लगाई माँ,

ऐसी फ्रॉकें अब कहाँ मिले, जैसी तूने पहनाई माँ।


ज़िद्दी थी मैं, एक दिन तुझ से, टेढ़ी चोटी बनवाई माँ,

तूने कर दी टेढ़ी चोटी, फिर तू मन ही मन मुस्काई माँ।


सब कहते थे चूल्हा-चौका, तूने कहा पढ़ाई माँ,

मुझ लड़की को पढ़-लिखवा कर, की जग से तूने लड़ाई माँ ।


कुछ पाने को कुछ खोना है, ये सीख थी रटी-रटाई माँ,

पढ़ने को भेजा दूर तूने, घर से प्रीत छुड़ाई माँ।


तेरी ममता की चादर में, ली सपनों ने अंगड़ाई माँ,

तेरी मेहनत की बूते ही, मैं भी कुछ बन पाई माँ।


कैंची कम और सुई ही, ज़्यादा काम आई माँ,

क्योंकि तूने ही सिखलाई करना, रिश्तों की तुरपाई माँ।


जब नींद न आई रातों में, तो लोरी तूने सुनाई माँ,

कुछ पल को मुझे सुलाने को, तूने अपनी नींद गँवाई माँ ।


लिखना चाहा जब भी तुझ पर, ये कलम सदा लड़खड़ाई माँ,

ये रुक जाती लिखते-लिखते, ये पकड़ न मेरे आई माँ।


लिखना था बहुत तेरी हस्ती पर, पर इतना ही लिख पाई माँ,

इस कड़वी-कड़वी दुनिया में, तू गुड़ से बनी मिठाई माँ ।


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