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Pinkey Tiwari

Abstract

4.9  

Pinkey Tiwari

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पानी की पुकार

पानी की पुकार

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पृथ्वी का सबसे अमूल्य संसाधन हूँ मैं,

केवल जल नहीं, जीवन का रसायन हूँ मैं।


सूक्ष्म जीव हो या हो स्थूल शरीर,

रक्त के रूप में होता हूँ, मैं ही नीर।


हिम बनकर पर्वत पर छा जाता हूँ,

गहरे भूतल में, सागर मैं बन जाता हूँ।


झरने से बहता हूँ, मिलता हूँ नदियों से,

जीवन बनकर बह रहा हूँ, पृथ्वी पर सदियों से।


बहता हूँ मैं, क्योंकि बहना है प्रकृति मेरी,

लेकिन मुझको व्यर्थ बहाना, ये मानव है विकृति तेरी।


पृथ्वी की हरियाली ही मेरे प्राणों का आधार है,

लेकिन मेरे प्राणों पर ही मनुष्य, किया तूने प्रहार है।


केवल जल नहीं, रक्त हूँ मैं पृथ्वी का,

जब रक्त ही बह जाएगा, तो शरीर रहेगा किस अर्थ का ?


समय रहते अपनी भूल को सुधार लो,

मुझको बचाकर, जीवन आने वाली पीढ़ियों का संवार लो।


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