भारत माता की संतानें।
भारत माता की संतानें।
हमने देखी,
काफी लंबी गुलामी,
सबने अपने खून का कतरा कतरा,
स्वतंत्रता के यज्ञ में डाला,
नहीं आसान था,
फिरंगियों से जूझना,
हर भारतीय ने,
हिम्मत से लिया काम,
देश के आगे,
सबकुछ किया कुर्बान,
तब तक न लिया दम,
जब तक देश हुआ स्वतंत्र।
फिरंगियों ने देश को,
अच्छा खासा था लूटा,
सोने की चिड़िया का बना दिया,
गुरबत का ठिकाना।
जब स्वतंत्र हुए,
बहुत खुशी दिखाई गई,
भारतीयों के हाथ सता आई,
लेकिन खजाना था खाली,
अब सवाल उठा,
कैसे देश को चलाएं,
उन्नति की राह,
आखिर बड़े बड़े डैम लगाए गए,
बिजली और सिंचाई की राह पकड़ी,
तब जाकर खाद्य संकट हुआ दूर,
हमने हरित क्रांति देखी।
साहूकारों के थे बैंक,
राष्ट्रीय करण हुआ,
जिससे खाली आदमी भी,
ऋण पा सका,
लघु उद्योगों का बिछ गया जाल,
हमारी आर्थिकी ने भी लगाई छलांग।
फिर संचार क्रांति आई,
मोबाइल और इंटरनेट ने धूम मचाई,
भारत बन गया,
सोफ्टवेयर में ताकत,
स्पेस साइंस में भी,
गाड़ा मील का पत्थर,
जब महामारी फैली,
हमने ही विश्व को,
सस्ते में वैक्सीन दिलाई,
आज कुछ ऐसा समय आया,
फार्च्यून- 500 में भी,
अनेक भारतीय पहुंचे सीईओ तक।
आज देश एक समृद्ध राष्ट्र,
अपने ढंग से चलता,
किसी के आगे नहीं झुकता,
सिद्धांतों की बात करता,
विश्व के हर मंच पर बैठता,
और सारी मानवता का,
प्रतिनिधित्व करता।