प्यार बेसुमार पाया है
प्यार बेसुमार पाया है
जिंदगी ने खुली बांहों से मुझे अपनाया है।
बड़े हक़ से थामकर हाथ मेरा,
इस जहां की हर खुशबू और रंगों से मिलाया है।
छोटी - बड़ी मोतियों - सी ये खुशियाँ
चुन - चुन कर मेरे दामन में सजाया है।
छलक पड़ती हैं मुस्कुराकर पलकों से
सच्ची चाहत भरे आंसुओं को मैंने पाया है।
रखकर अपनों के कंधो पर सर मैंने
सुकून के पलों को धड़कनों में बसाया है।
रिश्तों से पाकर बेसुमार प्यार के लम्हों को
मन मंदिर को फूलों सा महकाया है।
जिंदगी ने खुली बांहों से मुझे अपनाया है।
बड़े हक़ से थाम कर हाथ मेरा,
इस जहाँ की हर खुशबू और रंगों से मिलाया है।