सुख का संदेश
सुख का संदेश
बढ़ती उम्र के कन्धों पर,
सुख का बस्ता हो,
दिल फिर से बच्चा हो
तो कितना अच्छा हो।
झगड़ों, झमेलों, तकरारों से अलग,
प्यार भरा जीवन साधा हो, हरेक से भाईचारे
का वादा हो, हर प्राणी दिल
का सच्चा हो, तो कितना अच्छा हो।
बड़े, बुजुर्गों का आदर सत्कार हो, छोटे बड़ों में
हर पल प्यार हो,
कभी न किसी से तकरार हो,
बूढ़ा हो चाहे बच्चा हो , तो कितना अच्छा हो।
हर प्राणी की कदर हो,
किसी के काम में न दखल
हो, नेकी व ईमानदारी की चर्चा हो, तो कितना अच्छा हो।
सुख,
शान्ति का संदेश हो,
नशे, जुए, गन्दगी से परहेज
हो, कोई न कान का कच्चा हो, तो कितना अच्छा हो।
साधू, सन्तों, देवी देवताओं का परवेश हो, कभी न कोई
कलेश हो, ऐसा सुन्दर देश
हो, कोई न मन का कच्चा हो,
तो कितना अच्छा हो।
खाने को अन्न पीने को पानी हो, शुद्ध हवा की रिवानी हो,
घर घर की यही कहानी हो
दुखी न कोई प्राणी हो, हर पल सुख की चर्चा हो, तो कितना अच्छा हो।
हरेक पर विश्वास हो, पूरी सुदर्शन की आस हो, मीठी
हरेक की बात हो, कोई न कड़वा कच्चा हो, तो कितना
अच्छा हो।