यादें
यादें
छलक रहे थे आंखों से आंसू
टपक रहा था गालों से पानी
जब छोड़ रहे थे हम रिहायश
पुरानी।
दिल टूट रहा था बहुत कुछ छूट रहा था,
वो मिट्टी का चूल्हा, कोल्हू की घानी,
मक्की की रोटी, कुंए का
पानी, जब छोड़ रहे थे हम
रिहायश पुरानी छलक रहा
था आंखों से पानी।
बिताया था बचपन यहां
जिया था लड़कपन यहां
छोड़ चले थे संगी साथी
व हर राह की कहानी
जा रहे थे जीने नई जवानी
छलक रहे थे आंखों में आंसू
टपक रहा था गालों से पानी।
बन कर निकले जिम्मेदार
संभालना था अपना परिवार
पढ़ाने का बहाना था शुरू
कर दी नई कहानी, छलक
रहे थे आंखों में आंसू टपक
रहा था गालों से पानी।
निकल पड़े थे सुबह ही हम
छोड़ कर गांव की मिट्टी, चूल्हे
की रोटी और दरिया का पानी
छलक रहे थे आंखों में आंसू
टपक रहा था गालों से पानी।
देखता हूं जब पुरानी यादें
याद आती है गांव की मिट्टी
हर पल मुझे लुभाता है
खेला था जिन गलियों
में सुदर्शन वो रास्ता बहुत
लुभाता है, कहां गए वो संगी
साथी कहां गई वो कहानी
छलक रहे थे आंखों में आंसू टपक रहा था गालों से पानी
जब छोड़ रहे थे हम रिहायश
पुरानी।
