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Sudershan kumar sharma

Inspirational

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Sudershan kumar sharma

Inspirational

कबूल

कबूल

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कबूल करता रहा जो मिलता गया,

मैंने अपनी ख्वाहिशों को कभी दर्शाया ही नहीं 

जितना मिल गया उतना ही 

ले लिया हक किसे पे जतलाया ही नहीं 


जो दिल के करीव थे मेरे

उन्हीं को अपना समझता रहा

गैरों  पे हक जमाया नहीं, जो 

समझ न सके जख्म किसी का, उनको दर्द अपना कभी 

दिखाया ही नहीं। 


जब भी कभी गुजरी दर्दे दिल की हकीकत मुझपे,

मैं दिखावे के लिये मुस्कराया नहीं। 

जिस जिस ने न समझी मेरी

जरूरत मैंने उनका साथ निभाया नहीं,

जब भी लगा वो नराज हैं मेरे से मैंने उन्हें मनाया नहीं। 


जो अपने हैं जरूर मिलेंगे सुदर्शन मैंनै ऐसा कोई बंदिश

लगाया नहीं, जो मिल गया। 

उसी को कबूल कर लिया,

 मैने ख्वाहिशों को दर्शाया नहीं। 

 

कोशीश रही सुदर्शन हमेशा

रिश्तों में न तकरार रहे, 

जो

मिल जाए उसे कबूल कर

लालच न कभी सबार रहे कर भरोसा अपनी मेहनत 

पर ताकि ख्वाहिशों पर न 

कोई तकरार रहे, 


जो मिल जाए उसी को कबूल

कर ख्वाहिशों को दर्शाना छोड़ दे। 


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