मैं ही हूँ … बस
मैं ही हूँ … बस
मैं ही हूँ बस …..
पूरी ज़िंदगी …..
अच्छा कर के भी …
एक ग़लती से …
कभी बदनामी का …
जोखिम ना उठाना ….
करना है जब कुछ भी …
पहले आपने लिए सोचना ..
ग़लती हो या ग़लत कदम …
बस अपने लिए होता है …
कहने को , सुनाने को
…नाम की दुनिया है …
जीने और मरने का सामान
अपने लिए होता है
चलती हूँ …
बस हर कदम यही सोच कर ….यशवी
जो भी किया ,खोया ,पाया
अपने लिए बस ….
यही साथ ले जाना है ..
फिर ओरों का क्या ग़म ..
मैं ही हूँ बस मैं ….