STORYMIRROR

Sudershan kumar sharma

Inspirational

4  

Sudershan kumar sharma

Inspirational

सपने

सपने

1 min
218


सपने मेरे प्यारे सपने

सदा लगते हो तुम अपने

जब भी मैं गहरी नींद सो जाता हूँ, अक्सर सपनों में

खो जाता हूँ। 


मिलती है हर खुशी बन्द

आंखों में, आंख खुलते ही सब

खो जाता हूँ, 

सोच सोच के लगता हूँ तड़पने, सपने मेरे प्यारे 

सपने क्यों लगते हो अपने। 


चलता नहीं तुम पर जोर कोई

पड़ जाता तुम के आगे  कमजोर हर कोई, 

लगा कर दौड़ क्यों हारी

सब ने, सपने मेरे प्यारे

सपने सदा लगते हो अपने। 


कोशिश हर पल मेरी जारी है

सपनों को सजोने की तैयारी है

रोज तुम्हें मैं याद करूं, हर

पल पाने का प्रयास करूं

पर तुम नहीं बन पाते अपने

 मेरे प्यारे सपने। 


कई बार डरावने बन कर आते हो

मन मेरे को बहुत सताते हो

जब आंख मेरी खुल जाती है

मेरी मां मुझे हिलाती है

लोगों को डांट लगाती है

नजर किस ने लगाई है

डर के मारे लगता हूँ 

कांपने, सपने मेरे प्यारे

सपने सदा लगते हो अपने। 


इक दिन दादू सपने में आए थे, उन्होंने बहुत लाड लगाए

थे, मेले में ले गए थे घूमने

जब झूले में झूमने लगा

खूब डर मुझे लगने लगा

जब दादू को आवाज लगाई

मम्मा भी दौड़ी आई, 

आंख खुली तो कुछ नहीं

था सामने, सपना चकनाचूर

हुआ दादू भी मुझ से दूर हुआ, 

कैसे कहूं तुम्हें अपने, सपने 

मेरे प्यारे सपने। 


कहे सुदर्शन मत चाहो किसी

को बस सपनों से प्यार करो

ऐसा तुम पथ तैयार करो

सपनों तक पहुंचने का हर प्रयास करो ताकि सदा रहें

यह अपने सपने मेरे प्यारे

सपने। 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational