राख के बोल … अनमोल
राख के बोल … अनमोल
दूसरों से जलने का ही प्रमाण
शायद मरने के
बाद की राख देती है
कितने नादान है हम
जो जानते हैं
कब तक बचेंगे हम
किस किस से बचेंगे
शायद सब से बचेंगे
लेकिन खुद से ना बच पाओगे
रिश्तों में दूरियाँ
ज़रूरी नहीं
उदासी ही लाए
कभी कभी तो ये दुआ भी बन जाती है
वो समझ नहीं पाए
और जो समझते थे
अनजान बन गए
जब चले गए जहां से
सारी सच्चाई अंगरो की राख बोल गई।
