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Bhavna Thaker

Inspirational

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Bhavna Thaker

Inspirational

स्वाभिमान

स्वाभिमान

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खुद पर गर्व का मारा स्वाभिमान ऐसे लिपट गया है, जैसे गले में बँधा तावीज़ श्रद्धा के बल पर टिका हो। 


क्यूँ गलत रवायतों से समाधान नहीं कर पाती, बिन मौसम बरसात को तो मन मारकर भी स्वीकार कर लेती हूँ।


खुली आँखों से खाई में कूदने की आदी नहीं, उसी गलत आदत से बिगड़े ख़यालात को कैसे ठीक करूँ।


मंज़ूर नहीं कोई अग्निपरिक्षा बहुत दे चुकी, छीनने का हुनर बखूबी जानती हूँ अधिकार का हनन होते कैसे देखूँ।


बहुत पीछे छोड़ आई वो आईना, जो शक्ल सरताज की दिखाते डराता था, अब आँखों से आँखें मिलाना सीख गई हूँ।


मत बाँटो बेटियों के जन्म पर नेग, बताशे लक्ष्य पर ध्यान है दुहिता का, खुद को प्रस्थापित करना सीख गई हूँ। 


आवाज़ हूँ दमन से लदी वामाओं की पल्ला झाड़ना शोभा नहीं देता, प्रतिकार की मशाल जलाना सीख गई हूं।


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