माटी की कहानी ,माँ की जबानी
माटी की कहानी ,माँ की जबानी
माटी तन को रूह से रूबरू कराती है ,
बाहर से मटमैला अंदर से गुड लुकिंग बनाती है
किसी के लिए माटी में गड़ा खजाना है ,
तो किसी के लिए माटी खुद एक खजाना है
किसी के लिए माटी पूजा है, आराधना है ,
किसी के लिए माटी सजा है मौत है
किसी के लिए मिट्टी खेल है ,क्रीड़ा है, बालमन का कीड़ा है ,
किसी के लिए माटी पेशा है ,धंधा है , मोहमाया में अँधा है
माटी में रोपित बीज का असल जो फसल ममता और पोषण का सागर है
माटी किसी के लिए सुकून का बिस्तर, तकिया , आश्रय का कंधा है
संसार का जीवन होता शुरू माटी से है ,लीन होता माटी में है ,
माटी हर धरम ,हर भेद से ऊपर, सबसे परे है
माटी हर जख्म का मलहम है , है
माटी पूरे जगत की माँ जो अंदर अपने बीज का पालन पोषण कर सबका पेट पालती है
ये किसी का गुरूर है , किसी का सुरूर है।
माटी में जल है या जल में माटी है ,दोनों ही जीवन के परस्पर साथी है
माटी से जुड़ा ,माटी में पनपा , माटी की काया , माटी की माया,माटी का साया , और,
पहली बरसात से फैली हर घर आंगन में सुगंधा की पराकाष्ठा ,यह सब मेरे जीवन को खूब भाया।