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kacha jagdish

Inspirational

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kacha jagdish

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खुद को अपाहिज न कर

खुद को अपाहिज न कर

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क्यूं है तू समाज से कटा बैठा

तो क्या हुआ, की तू है एक विकलांग


आखिर विकलांग है तू, 

न की कोई मुजरिम


गुनाह नही है विकलांग होना

जो खुद को दोष दिये बैठा है


लोग ये कहगे, ये सोच कर

तू क्यों डरता है


लोगों को क्या

उसने आजतक कितनो अच्छा कहा है


उस भीड ने मिलकर

अच्छे अच्छे को अपाहिज किया है


बैठा रहा तू ये सोचकर

ये गलती होगी तेरी


ये मत सोच

ये कमी है मुझ में


ये सोच

दूसरो जितनी कितनी बातें है तुझमें


उठ, खडा़ हो 

बेकार की बातों वक्त ना बरबाद कर


बैठा रहा अगर तू

गलती होगी तेरी


बेकार की बातें सोचकर 

खुद को इस तरह अपाहिज न कर।


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