रे मितवा दिल ना किसी से लगाना
रे मितवा दिल ना किसी से लगाना
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रे मितवा दिल ना किसी से लगाना
रो लेना तुम छुप के अकेले
जख्म उसे ना बताना
रे मितवा दिल ना किसी से लगाना।।
खुद से मोहब्बत कर लेना तुम
खुद की हिफाज़त कर लेना तुम
दिल शीशा है दिल शबनम है
पत्थर है ये जमाना
रे मितवा दिल ना किसी से लगाना
पूछो टूटे हैं घर जिनके
कैसे बिताये दिन गिन गिन के
ना ये मंज़िल हम राही का
ना ये अपना ठिकाना
रे मितवा दिल ना किसी से लगाना।।