STORYMIRROR

Kavita Sharrma

Inspirational

4  

Kavita Sharrma

Inspirational

मां

मां

1 min
268

नारी तुम जल सी कोमल 

वज्र की सी कठोर भी हो

सौंदर्य की मूर्त हो तुम , 

सशक्त हो हर रूप में पूर्ण हो तुम 

मां का कोमल हृदय रख

संतान पर वात्सल्य लुटाती

संतान की परवरिश की खातिर

स्वयं की पहचान भी मिटाती

बिना कुछ कहे ही बच्चों के

मन की बात समझ जाती

जब कभी वो निराश हो

प्रेरणा से उनको राह दिखाती

कभी गुरू बन कभी सखा बन

जीवन का पाठ पढ़ाती

मां के ऋण हैं बहुत हम पर

चुका सकते नहीं हम जीवन भर।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational