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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy Inspirational

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Brijlala Rohanअन्वेषी

Tragedy Inspirational

भारत की खोज

भारत की खोज

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मैं भारत की खोज में हूँ,

मजेदार बात यह है की मैं भारत में ही हूँ,

पर अफसोस भारतीयता कहीं दिख नहीं रही।

वही भारत जो कभी सोने की चिड़िया कही जाती थी, 

जो कभी ज्ञान धर्म संस्कृति और सभ्यता की तपोभूमि थी,

जहां नदियों को भी माता कहकर बुलाते हैं,

हालत आज ऐसी उसकी की उसे नाला कहने में भी शर्माते हैं,

व्यास-वाल्मीकि की काव्य भूमि यह,

कबीर- रैदास- नानक- तुलसी और सूरदास की 

सुरभित यह भक्ति भूमि है, राम -कृष्ण - बुद्ध -महावीर की 

जन्मस्थली यह, उन वीरों की कर्म भूमि है।                         

लेकिन मुझे वह भारत नहीं मिला जिसकी मैं खोज में हूँ।


लूट मार मची चहूँ ओर, गरीबी-भुखमरी - भष्ट्राचार का बोलबाला है,

पौ- बारह की होड़ लगी है, लूटपाट में रंगी स्याही है। 

सेहत की खास्ताहाल हालत, शिक्षा की गर्त में विरासत, 

किसी को मूल्यों की कहाँ परवाह है। 

चाटूकारों के दिन फिर आये, उजली टोपीवाले ईमानबेचदारों

की आज वाह - वाह है।            

जिसने दुनिया को गणतंत्र की दिशा दिखाई,

वही भारत आज सत्ता और कुर्सी का बना सिर्फ प्यादा है।  

मैं भारत की खोज में हूँ,

मैं वही सोने की चिड़िया की खोज में हूँ। ।


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