भारत,एकता का प्रतीक
भारत,एकता का प्रतीक
आज हमारे देश पर पड़ी पीर यह भारी है
अश्कों से भर रही है दुनिया, रोती फिजा बिचारी है
हो रही क्यों सुनी गोद? क्या कसूर है ममता का ?
रोको अत्याचार यहां बजा बिल्कुल अब समता का
हम एक थे, अब है नहीं,यही तो बस लाचारी है
अश्कों से भर रही है दुनिया,रोती फिजा बिचारी है
ऊपर वाले ने दुनिया में एक अनजान बनाया था
ना था वह हिंदू कोई,ना मुसलमान कहलाया था
कौन था वह दुष्ट यहां जिसने अनजान को तोड़
एक को हिंदू बना दिया दूजे को मुस्लिम बोल दिया
रंग हो या फूलों की खुशबू सब में धर्म को मिला दिया
कभी राम नाम पे कभी अल्लाह के नाम पर हमें भड़का दिया
एक कहे बलवान हूं मैं, दूजा कहे मैं कमजोर नहीं
इस धर्म वाद को जिसने जन्म दिया
वह दुष्ट हम ही हैं जिसने अनजान को भुला दिया
अभी है समय ऐ दुनिया वालों
रक्षक,वीर, जवानों हिंदू को नहीं मुस्लिम को नहीं
तुम अनजान को याद करो
हिंदू मुस्लिम नही,इंसान को पहचान लो।
ये भारत भूमि कहती यही एकता में बल है
सो भेद भाव को अस्वीकार कर आपस में तुम प्रेम करो।
