मां याद आने लगी है
मां याद आने लगी है
आज गुजरा समय याद आने लगा है।
वो बचपन की यादें सजाने लगा है।
समय लोरियां गुनगुनाने लगा है।
वही माँ के हाथों की प्यारी थपकियाँ,
मेरे पीठ को थपथपाने लगा है।
कहीं खो न जाऊं,कहीं गिर न जाऊं।
कभी मॉं की आंखों से ओझल हो जाऊं।
वही खोजना, दौड़ना, हर तरफ देखना।
नाम लेकर बड़े जोर से पुकारना
आज फिर सब हमें याद आने लगा है।
समय लोरियां गुनगुनाने लगा है।
वो बचपन की यादें सजाने लगा है।
कभी क्रोध में आके चांटा लगाना।
फिर रोते हुए देख आंसू बहाना।
वो माता के हाथों का एक-एक निवाला।
मुझे आज फिर याद आने लगा है।
समय लोरियां गुनगुनाने लगा है।
वो बचपन की यादें सजाने लगा है।
वही रूठना, भागना, दौड़ना,
क्रोध में आके कुछ भी मेरा बोलना।
फिर भी माँ का मुझे प्यार से देखना।
आज फिर मुझको सब याद आने लगा है।
समय लोरियां गुनगुनाने लगा है।
वो बचपन की यादें सजाने लगा है।
वो मेरी बीमारी में सिरहाने तेरा सारी रात जागना,
वो मन्नतें मांग कर मुझे जीत का सेहरा पहनाना,
वो नजर उतार कर मेरी हर मुश्किल दूर करना,
पापा की डांट से हर बार मुझे बचाना,
अपनी बचत से मेरी हर खुशी को पूरा करना,
कुछ कहूं या ना कहूं, फिर भी मन की हर बात समझ जाना
वो मां है, कभी बन जाती हमारे लिए डॉक्टर तो कभी नर्स
कभी शिक्षक तो कभी हमारी ढाल,
कभी मार्ग दर्शक तो कभी प्रेरणा।
जिसके बिना सूना लगे मन आंगन
वो परमात्मा का स्वरूप, मेरी मां की याद फिर सताने लगी है,
वो जो कभी मुझे रोने नहीं देती थी, आज खुद अश्क बन कर रुलाने लगी है
