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Jyoti Agnihotri

Inspirational

5.0  

Jyoti Agnihotri

Inspirational

भार

भार

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निज स्वार्थ के ही दास हैं जो,

कब निज हृदय के पास हैं वो।


मानवता महज उनमें बस रेंगती है,

जिन्दगी भी ऐसों को बस ठेलती है।


व्यसन औ दमन की कामना ही,

इनके स्वार्थपूर्ण हृदयों में खेलती है।


अनन्त काल ही से धरा भी,

इनके भार को मूक झेलती है।


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