बहा लहू है देश का
बहा लहू है देश का
बहा लहू है देश का,
कैसे कोई आराम करे।
दिल जलता है, खून उबलता है,
क्या करे, क्यां ना करे,
कुछ समझ में ना आता है
ये मंजर परेशांन करे।
कोई आता है और,
बम चलाकर चला जाता है।
और हम बैठकर, बस आहें भरे
ये कैसे हो पाता है।
हम तो बापू वाले थे,
हथियार चलाना भी ना जाना था।
पर तुम वार पर वार करो,
और हम फरियाद ना करे,
ये कैसे हो सकता है।
तुम शायद भूल बैठे,
याद हम तुम्हें दिलाते हैं,
वीर शिवाजी, लक्ष्मी रानी की,
गाथा तुम्हें सुनाते हैं।
दुश्मन की छाती पर हम
अब अश्व हमारा दौड़ाएंगे।
इस खेल में तुमने अपना दाँव रचा,
अब हमारी बारी है।
बस इंतजार करो तुम कुछ पल का,
तुम्हें मिटाने की तैयारी हैं।
बहा लहू है देश का,
कैसे कोई आराम करे
दिल जलता है, खून उबलता है,
कैसे ये शत्रु दुस्स्साहस हर बार करे।
बहा लहू है देश का, कैसे कोई आराम करे।
