मानव तू है स्वार्थ
मानव तू है स्वार्थ
मानव भगवान ने तुझे बनाया सर्वोत्तम,
तुझे सबसे अच्छा दिमाग,
और ज्ञान का भण्डार से सचेत करवाया,
लेकिन तुझ में एक लालसा,
तू हर किसी को दबाना चाहता,
यहां तक की,
अपने साथी मानवों की भी,
इस चक्र में नहीं छोड़ता।
बस तू अधिक से अधिक,
ताकत इकट्ठा करना चाहता,
अधिक से अधिक दौलत इकट्ठा करना चाहता,
और इस अधिक से अधिक की,
पागल होड़ में,
तू इतने जूल्म ढाता,
औरतों और बच्चों को भी नहीं छोड़ता,
बस अपने लिए,
अपने वर्चस्व के लिए,
तू धरती को भी,
मिटा देना चाहता।
तू कोई कानून भी नहीं मानता,
जब तूझे,
अपना स्वार्थ याद आता,
तू उसके लिए,
खतरनाक से खतरनाक,
खेल खेल डालता,
ये कैसा विधान,
तू बनाता,
जिसमें कोई बेइंतहा ताकतवर,
और कोई कमजोर बन जाता,
और तू ऐसा चक्रव्यूह रचता,
जिसमें सिर्फ तू ही जमता,
बाकि सब नकारे हो जाते।
लेकिन फिर भी,
मेरी है चेतावनी तुझे,
कुछ कुदरत से,
तो डर,
नहीं तो वो एसी,
प्रलय लाएगी,
तुझे तेरी नानी याद आ जाएगी।