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Nitu Mathur

Tragedy

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Nitu Mathur

Tragedy

हाल कैसा है

हाल कैसा है

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दर्द देकर पूछते हैं कि हाल कैसा है

छोड़ा मजधार में तो मलाल कैसा है

क्या आखिर तक गिरते टूटते देखोगे

हद ए निगाह को ये इंतजार कैसा है?


वो वादे कसमें साथ जीने मरने की

हवा हो गईं बातें प्यार मोहब्बत की

घुट घुट कर जीने से जी घबराता था

मर के भी ना मिटा ये खयाल कैसा है?


मेरी तबाही का मंजर क्यूं देखते हो

खुश हो तुम तो ये तलब ज़ार कैसा है

हम मिटे हस्ती मिटी मिट गया निशान

फ़िर मेरी रूह के पीछे ये साया कैसा है?


हर किसी की ज़िंदगी मुकम्मल नहीं

मेरे प्यार को तेरे इकरार की चाह नहीं

बस समझ ना पाए हम ये खेल सारा

आपको जीता के बाज़ी हार गए...

कहिए जनाब अब हाल कैसा है?


          


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