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Mamta Singh Devaa

Tragedy Others

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Mamta Singh Devaa

Tragedy Others

अम्माॅं मुझे पता है...

अम्माॅं मुझे पता है...

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अम्माँ मुझे पता है...

तुम जाकर बाबू को खूब उलाहने दे रही होगी

सड़सठ साल का साथ फिर से जी रही होगी ,


अम्माँ मुझे पता है...

तुम वहाँ भी काव्य गोष्ठी कर रही होगी

अपनी काव्य रचनाएं मन से पढ़ रही होगी ,


अम्माँ मुझे पता है....

तुम जब बाबू के लिए खाना पका रही होगी

खाने की खुशबू वहाँ हलचल मचा रही होगी ,


अम्माँ मुझे पता है....

वहाँ किसी की मनमानी नहीं चल रही होगी

तुम्हारे नियम से तो अप्सरा भी डर रही होगी ,


अम्माँ मुझे पता है....

तुम्हारे हौसले की वहाँ दाद दी जा रही होगी

रति इंद्र को तुमसे सीखने को कह रही होगी ,


अम्माँ मुझे पता है....

कर्म की प्रधानता का तुम प्रमाण बन रही होगी

मेहनत करके तुम वहाँ प्रधान बन रही होगी ,


अम्माँ मुझे पता है....

खुद के मापदंडों पर स्वर्ग को बदल रही होगी

कभी उम्मीद ना रखने की सलाह दे रही होगी ।


अम्माँ मुझे पता है....

तुम वहाँ से भी हमारी ही चिंता कर रही होगी

हमें कोई तकलीफ ना हो यही सोच रही होगी ।



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