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DINESH JOSHI

Tragedy

4  

DINESH JOSHI

Tragedy

कशमकश में जिंदगी

कशमकश में जिंदगी

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कशमकश में जिंदगी है,घुट रहा अहसास है

ख्वाहिशों के बोझ से,दबती रही हर साँस है

शाम ढलने दो अभी नव भौर होगी जिंदगी

वक्त की आदत यही हर वक्त बनता खास है

कशमकश में जिंदगी है,घुट रहा अहसास है

दिन निकलता आग सा और रात होती स्याह सी

दुःख भरी पीड़ा सुबकती घाव करती आह सी

आज से नव दौर होगा मन में ये विश्वास है

कशमकश में जिंदगी है,घुट रहा अहसास है।


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