प्रीत
प्रीत
मन के पन्ने खाली होंगे, भर दो इनको प्रीत से
जीवन नीरस हो जाता है, बिन प्रणय संगीत के
तुम गर्मी की मधुरम छाया, शीतल काया सी होती
तुम बंशी हो इन अधरों की, मन भावों में ही रहती
छूकर सुरमय कर दो इनको, प्रेम भरे इक गीत से
मन के पन्ने खाली होंगे, भर दो इनको प्रीत से
मनवा पंछी उड़ता होगा, सपनों के आकाश में
सहता होगा हर पीड़ा को, प्रेम मिलन की आस में
मीत पतंगा ज्यों मिलता है, अग्नि के मनमीत से
मन के पन्ने खाली होंगे, भर दो इनको प्रीत से
रघुनंदन से मिलन को तरसे, शबरी सा अनुराग तू
नंद नंदन बिन नैना बरसे, मीरा सा वैराग तू
हार गया हूँ इस विरहा से, विरहन की इस रीत से
मन के पन्ने खाली होंगे, भर दो इसको प्रीत से
