माता और पिता
माता और पिता
तू जो मुझसे छूटा।
लगता है रब रूठा।
आपके बिना पापा,
यह सारा जग है झूठा।
आपके जाने के बाद माँ पड़ी अकेली,
माली के बिना जैसे मुरझा गई हो कोई कली।
रंग सारे उड़ गए उसकी ज़िंदगानी से,
हमने बहुत है सीखा उसकी कहानी से।
क्यों? क्यों? है प्रभु,दु:ख ही दु:ख लिखे हैं,
तूने मेरी माँ के जीवन में?
कोई कपट नहीं था उसके मन में।
निष्कपट कर्म पूरी जिंदगी करती रही,
उसके कर्तव्य का पालन जिंदगी भर करती रही।
टूटी नहीं , बिखरी नहीं; जड़ों से वह जुड़ी रही;
कभी भी वह जमाने के आगे झुकी नहीं।
रोती थी दिल में फिर भी होंठ पर थी मुस्कान।
ऐ माँ! ऐ माँ!
तू ही है मेरा सारा जहान ।
पापा के बिना तुम कितनी अधूरी हो,
फिर भी पापा की कमी करती तुम पूरी हो।
हे ईश्वर,
हमारी जैसी हालत और किसी की न करना।
किसी के पापा मम्मी को उनसे जुदा ना करना।