बेवफ़ा मुहब्बत
बेवफ़ा मुहब्बत
ग़ज़ल
मुहब्बत में मुझे धोखा दिया है!
किसी ने ग़म से दिल मेरा भरा है
मिला वो तल्ख़ लहज़े से मुझे कल
मुहब्बत का नहीं लहज़ा किया है
भुलाना चाहा है दिल से जिसे था
बसा दिल में वो ही मेरे रहा है
परेशां है बहुत वो तो बड़ा ही
हाले दिल ये सुना कोई गया है
सितम झेला बहुत बचपन में मैंने
अपनों से प्यार कब मुझको मिला है
सभी वादे वफ़ा आज़म तोड़ गया
नहीं वो हम सफ़र मेरा बना है।
आज़म नैय्यर