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Indu Kothari

Children

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Indu Kothari

Children

बेटी

बेटी

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  पापा ! मुझे, मेरे हिस्से का

  थोड़ा सा ,प्यार दे दो 

  भाई की तरह दादी !

  मुझे भी, अपना लाड़ दे दो

  मैं पराई हुई कब से ?

  पूछती हूं आज सबसे,

  क्यों मेरे हिस्से में, आज

  ये नफरत है आई 

  पूछती हूं मैं आज

  तुमसे भी, ताई !

  भाग्य तो हमारे कर्म से 

  है, बनते और बिगड़ते

  पर न जाने क्यों ?

  बेटी जनने पर मूढ़ जन 

  मेरी मां को ही, ताना

  दे देकर, उनसे ,हैं झगड़ते

  पर सोचो, यदि बेटी न होती 

  तो क्या सृजन होता ?

  न तीज, न त्योहार होता

  न स्नेह न रक्षा के धागे

  न कोई व्यवहार होता

  न बहिन होती, न प्यार होता

 सुन हे ! सृजन हार तब कितना

 सूना सूना तेरा यह संसार होता

  


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