मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
अभी माटी का कर्ज़ उतार रहा है
अभी तिरंगे में लिपट रहा हूँ
अभी अपने लहू की आहुति दे रहा हूँ
अभी अपनी माँ के आँचल की रक्षा कर रहा हूँ
ऐ मेरे गाँव की मिट्टी
ऐ मेरे घर के बीच लगे तुलसी के पौधे
ऐ मेरे घर के आँगन में दाना चुगती चिड़िया
तुमसे किया वादा अधूरा छोड़ रहा हूँ
पर मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
ऐ मेरी माँ के आँचल
ऐ मेरी माँ की गोद
ऐ मेरी माँ की पुकार
ऐ मेरी माँ की रातों में ना सोई हुई आँखों
ऐ मेरी माँ के उठते हाथ
ऐ मेरी माँ के ममता से भरे हुए कलेजे
मुझे माफ करना
तेरा ये लाल तुझसे किया हुआ वादा पूरा ना कर पाया
पर मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
ऐ मेरे पिता के गर्व
ऐ मेरे पिता की ताव देती मूँछ
ऐ मेरे पिता की 56 इंच की छाती
ऐ मेरे पिता के मुख से निकले राम राम
ऐ मेरे पिता की लाठी
मैं आज तुझे अपने पिता को सौंप के
इस माटी में विलीन हो रहा हूँ
मेरे पिता से कहना
मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
मेरी छोटी गुड़िया
मेरी लाड़ली
मेरी आँखों के तारे
मेरी रक्षा बंधन की अनमोल डोर
मैं अपनी बहन की रक्षा तुम्हें सौंप रहा हूँ
उसे कहना
मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
मेरी दिलरुबा
मेरी अर्द्धांगिनी
मेरी हमसफर
ऐ करवा चौथ के व्रत
ऐ तीज के चाँद
ऐ माँग के सिंदूर
ऐ नाक की नथ
ऐ खनकती चूड़ियों
ऐ पायल के घुंघरू
मेरी प्रिय जान का खयाल रखना
उसे कहना
मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
भारत माँ की माटी
भारत माँ के आकाश
भारत माँ के अनमोल पानी
भारत माँ के आँचल
आज ये लाल तुम्हारी गोद में सोने आ रहा है
आज ये लाल तुमसे मिलने आ रहा है
मेरे सीने से निकलते हुए लहू
मेरी वर्दी पर लगे सितारे
मेरी माँ से कहना
इसी माटी में जन्मा हूँ
इसी माटी में मिल जाना है
एक माँ की रक्षा के लिये
दूसरी माँ को छोड़ रहा हूँ
पर वादा करता हूँ
मैं तुम्हें फिर मिलूँगा
