दुसरे ग्रह पर मेरी काल्पनिक छुट्टी
दुसरे ग्रह पर मेरी काल्पनिक छुट्टी
मै गई दुसरे ग्रह पर बैठे यान मे
छुट्टी मनाने गयी यान मे
मुझे अवकाश था मनाना
अवकाश मे दूसरे ग्रह मे जाना
अपने स्वागत की सूझी मुझको एक युक्ति
मन मे हुआ स्वागत करने आये मेरे कोई व्यक्ति
मै जोर - जोर चिल्लाई
तब तक एक अजीव सी गाड़ी आयी
गाड़ी मे पंख थे दो मोटे -मोटे
उसमें दो व्यक्ति उतरे छोटे - छोटे
उन्होने मेरे गले मे डाली अजीब माला
जिसमे था दुनिया देखने का आला
इस माला से मै देख सकती थी अपना ग्रह
वह ले गये बिठाकर मुझे फूल की तरह
उन्होंने स्वागत सत्कार मे मुझे चाकलेट खिलाया
मुझे उन्होने यहाँ चाँद से मिलाया
वहाँ सुरज भी बैठे थे ग्रह सभी लेटे थे
तारे उजाला कर रहे थे
बादल पानी भर रहे थे
मै बादल के ऊपर लेट गयी
लेटते ही सो गयी
सुबह देखा परियां नाच रही थी
कुछ परिया हवा में खाना बना रही थी
एक बादल ने मुझे पानी से नहला दिया
मैने उड़ते हुए कप से शर्बत पिया
कपड़े मुझे रोबोट ने पहनाये
खाने को फिर चाकलेट के पकवान आये
मै वहाँ दस दिन रही
आते मुझे वहाँ के लोगो ने एक बात कही
फिर अन्तरिक्ष पर आते रहना
हमारे ग्रह के बारे मे अपने ग्रह मे बहुत बातें कहना
बहुत चीजे मुझे उन्होने उपहार मे दी
प्रधानमंत्री को चिटठी भी दी
मै अपने यान पर जब बैठी तो वह रो रहे थे
अपनी भाषा मे कुछ कह रहे थे
समझ मेरे कुछ आया मेरे नही
परन्तु उनसे लगाव हुआ मुझे कही
नीद मे मै जग गयी
जल्दी विद्यालय चली गयी
दूसरे ग्रह की कहानी मैने बताई
बच्चो को मेरे बड़ी हंसी आयी