बेताब दिल
बेताब दिल
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जुदा रहता हूँ तुझसे तो दिल बेताब रहता है
एकांत में दिल तुम्हीं को याद करता रहता है,
वो हसरतों के फूल फिर से खिले उपवन में,
हरपल तुम्हारे आने का हमें इंतज़ार रहता है,
जब कोई भी बात मौजू-ए- गुफ्तगू बनती है,
गुफ्तगू में तुम्हारा ही चेहरा निगाहों में रहता है,
जुदाई की तन्हाई का आलम न पूछना मेरे यार,
उनके वियोग में दिल मेरा खामोश सा रहता है,
तुम्हारे जाने पर दिन- रात यूँ बैचेनी गुजरती है,
दूर जाने पर दिल मेरा तन्हाई में रोता रहता है I