बेशुमार फुहारे
बेशुमार फुहारे
कितने आशिकाना है
तुम्हारी धड़कन के इशारे,
करीबियों के मोहताज नहीं
मेरे एहसास, दूर रहकर भी
समझ लेते है तुम्हारे स्पंदनों के
खूबसूरत नज़ारे।
पहचानती है मेरी चाहत
सदियों से तुम्हारी साँसों के तराने,
खींची चली आती हूँ
बदलकर किस्मत के सितारे।
धक-धक के निनाद को
काबू में रखो ज़रा
छा जाती है बिन मौसम बहारें,
बेकल होती है मोहब्बत
जब-जब तुम्हारी तलब
मेरी प्रीत को पुकारे।
कितना शोर करते है
तुम्हारी निगाहों के इशारे,
हया को हटाकर मेरी चाहत
लूटा देती है तुम पर प्रेम की
बेशुमार फुहारे।