"खाली पन्ने प्रेम के"
"खाली पन्ने प्रेम के"
धूल में लिपटी हुई पुरानी डायरी
और वक्त के साथ मन पर पड़ गये
जालों के साफ होते ही
यादों का एक सैलाब उमड़ता है
बहा ले जाता है अपने साथ
डायरी खोलते ही पहला पन्ना
ठीक वैसे ही फटा मिलता है
जैसे फाड़ा गया था कभी
अपनी मजबूरियों में
और
जिसका गवाह बना था दूसरा पन्ना
जिस पर मटमैले पड़ चुके
गोल गोल निशान
अभी भी अपनी उपस्थिति
दर्ज कराए हुए है
शेष खाली पन्नों में
सिमटी हुई है दास्तान
प्रेम की
जो अगर शब्दों में समेटी जाती
तो ना जाने कितनी डायरियां भर जाती
ये तो अच्छा है
हर प्रेम कहानी के नसीब में
शब्द नही होते
दबी,छुपी रहती है
दिल की गहराइयों में कहीं
वर्ना
बहा ले जाती अपने संग
वर्तमान और भविष्य
और खींच देती एक रेखा
संबंधों के बीच
जिस पर टंगे होते
प्रश्नचिन्ह अनेक
हर खाली पन्ने में
आँखे गड़ाये
हम पलटते है अपना इतिहास
और जीते है भूतकाल
आँखों की कोर से
चुपके से निकल कर
कब एक बूंद
डायरी पर बना देती है
एक गोल निशान।

