उसका पता दो
उसका पता दो
मैं पीछा ना छोड़ूंगी, जताते रहना
तुम्हें मालूम नहीं किस हाल में कटते हैं ,,,
ये दिन और रात मेरे .... पल पल तन्हाई डसती है,
यादें करती हैं कत्ल, उठते जज़्बात मेरे ।।
तुम उसका पता हरदम बताते रहना ।।
मिल कर पूछने हैं सवाल अनेक ।।
आखिर क्यों मेरे दिल से तूने यूँ खेल खेला।
मैदान में उतरी प्यार से मुझे लेकर,और सीने पर रख दिया चाकू, छुरा और हथगोला ।।
तुम उसका पता हरदम बताते रहना ।।
ताकि मिलने की आग सुलगती रहे और कहे ।।
तुम तक़दीर से दूर क्यों न चले जाओ मेरे ।।
मैं तक़दीर से तुम्हें ढूंढ लाऊंगी ।।
ये दुनिया जितनी भी बड़ी क्यों न हो ।।
मन की दुनिया मे तुझको कैद कर जाऊंगी ।।
मैं तुझसे अब भी प्यार करती हूँ ,,,
उस दिन तुम्हें समझाऊंगी ।।
उस दिन तुम्हें मनाऊंगी।।

