बेमुरव्वत
बेमुरव्वत
टूटे दिल को मनाएं भी, तो मनाये कैसे।
उजड़े चमन को सजाएँ, तो सजाएँ कैसे।
जिसने देखी नहीं कभी, मेरे चेहरे की गमी
जख्म दिल के उसे, दिखाएँ तो दिखाएँ कैसे।
मेरे अश्कों को जिसने पानी समझ, मुँह फेर लिया
उस बेमुरव्वत को जीवन में, लाएं तो लाएं कैसे।
बदले दौर का शायद, यही फलसफा होगा
जहन में इस ख्याल को, बिठायें तो बिठाये कैसे।
फिजा के आने से पहले, जो गुलशन उजड़ गए
फूल ऐसे बगीचे में, खिलाएं तो खिलाएं कैसे।
जिसने बदचलनी को, मोहब्बत का नाम दे डाला
ऐसी अय्याश को उल्फत, सिखाएं तो सिखाएं कैसे।