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Praveen Gola

Romance

4  

Praveen Gola

Romance

इश्क ~ए ~एहसास

इश्क ~ए ~एहसास

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बहकी - बहकी हवाओं से,

 फिर तेरा संदेश आया है,

तूने चोरी - चुपके से,

रातों में मुझे बुलाया है।


सर्द हवायें शोर करें,

ज़िस्म को तेरी ओर करें,

रातों को बिस्तर में ऐसे,

तूने मुझे जगाया है।


मैं जैसे ही तेरा नाम लूँ,

किसी सुकून को अंजाम दूँ,

मेरी नजरों के सामने,

फिर तेरा चेहरा आया है।


जब बेचैनी और बढ़े,

तेरे संदेशों से ये दिल जले,

तेरे बहानों से देख आज,

फिर मेरा दिल ललचाया है।


बंद चारदीवारी में जब,

ज़िस्म हल्का होने लगा,

तेरे इश्क के जादू से,

इश्क ~ए ~एहसास पाया है।


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