STORYMIRROR

Shreyas Narain

Romance

4  

Shreyas Narain

Romance

आखिरी

आखिरी

1 min
272

सो जाओ सो जाओ सो जाओ सो जाओ,

सो जाओ शाम तक ना हो ये रात आखिरी।


भला चलोगे माँगने, कितनों से लिये काँसा,

खत्म हुआ सौदा-ए-दिल, कल रात आखिरी।


कल हमने सूना कर दिया, साकी का जामघर,

बात हुई थी इतनी, ना हो ये जाम आखिरी।


रख के गया था बाप हाथ में सिक्के का घड़ा,

बेटा एक एक खर्च के सोचे, ना हो ये दाम आखिरी।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Shreyas Narain

Similar hindi poem from Romance