बेहया, बेशरम ने जुल्म ऐसा ढाया !
बेहया, बेशरम ने जुल्म ऐसा ढाया !


अब दुखता है मन मेरा
अरमान निकलते हैं दिल के
जिस्म टुकड़ा-टुकड़ा बंट गया है
बेहया, बेशरम ने जुल्म ऐसा ढाया हैं !
दिले अरमान अब कुछ नहीं
ना ही किसी की जरूरत हैं,
मेरी जिंदगी हैं, मैं जीऊंगा इसे।
ये बड़ी खूबसूरत हैं,
मेरी आँखों की, जो चमक है,
मैंने उसी से पाया है,
बेहया, बेशरम ने जुल्म ऐसा ढाया हैं !