बेदर्द
बेदर्द
तकदीर का रोना दिल का धोखा है,
हद से ज्यादा दर्द सीने को होता है।
बस यूं उठ जाती कलम,
दो शब्द गुनाह के मिलें,
जिंदगी के गिले शिकवे,
यादों में सदा तन्हा लिखे।
तू क्या जाने प्यार वफा,
तेरे सीने में हवस का नशा,
दिल से खेली दिलवाली,
मेरे सीने में गम का नशा।
नफरत सी होती है,
अब यूं तेरे साये से,
कहीं बदनाम न कर दे,
तू अपने इरादे से।
ऐसा महसूस होता है,
तकल्लुफ है दर्द का,
रिश्ते नाते बेदर्द तुझे,
बेवफा विश्वास नहीं होता है