बेचारा लड़का
बेचारा लड़का
आजकल लड़की होना बहुत आसान है
लड़कियों के पक्ष में तो सारा विधान है
लड़कों के दुखों को कोई क्या समझेगा
हर तोहमत का वही तो अंतिम मुकाम है ।
"आवारा" का लेबल चस्पा कर दिया
भरी महफिल में उसे रुसवा कर दिया
जब तक जी चाहा उससे खेलते रहे
जब मन भर गया "मी ठू" में धर दिया
लडकी है , वह गाली भी दे सकती है
माननीय को हरामी भी कह सकती है
पर यदि उससे कुछ भी कह दिया जाय
तो वह आसमान सिर पर उठा सकती है
कभी ईश्वर मिले तो जरूर पूछेंगे लड़के
कि इतना भेदभाव आखिर क्यो किया
जिनकी खातिर फना हो गये "आशिक"
हुस्न वालों ने उन्हें ही बेवफा कह दिया।