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Husan Ara

Abstract

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Husan Ara

Abstract

पर्यावरण

पर्यावरण

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क्रूरता मानव की देख

पर्वत भी पिघल जाता है

धूल, धुंआ, कचरा हर तरह का

तू प्रकृति में फैलाता है


आज वक़्त तेरा है, पर्यावरण पर तेरी जकड़ है,

आज वक़्त तेरा है, तभी तुझमे इतनी अकड़ है।


जो हम देते हैं, वो लौट इधर आता है।

संभाल खुद को मानव,ये वक़्त बदल जाता है

ये वक़्त बदल जाता है




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