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Rasmita Dixit

Romance Tragedy

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Rasmita Dixit

Romance Tragedy

आपके जाने के बाद

आपके जाने के बाद

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उस दिन हम यहां थे

पर समां कुछ बदला हुआ था

बदल गई थी हवा का रुख

चाँद भी उस दिन रूठा हुआ था।


बादल के उस पार 

मुहं छुपा रहा था ,

रह रह कर टिस सी दिल में 

उठती रही

एक ही सवाल गूंज रहा था

कैसे जिएंगे हम

आपके जाने के बाद।


चारों तरफ था सूनापन

घन घोर घटा छा रहा था

बड़ी मुश्किल से 

बटोर रही थी 

अपने बिखरे हुए सपनों को।


हर तरफ थी तुम्हारी

यादों का टुकड़ा

जो बन गए थे कांच के

हर इक टुकड़े ने 

ख़ंजर की तरह

दिल की आर पार 

हो रहा था।


हम सोचते रह गए

ऐसा क्यों हो रहा है 

आपके जाने के बाद।


आप तो थे जानेवाले

आनेवाले पल में आप नहीं थे

फिर ये बेईमान दिल

क्यों लुटा दिया हमने ?


हर उस लम्हे में

आप तो जानेवाले थे

हम तो थे आने वाले 

पल जे इंतजार में।


पर हमे कहाँ पता था

आप आये थे इस जिंदगी में

झिलमिलाती रोशनी के साथ

पर उस रोशनी का बुझना भी 

पहले से तय था

हम ये जान के भी अनजान बने रहे।


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