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Rasmita Dixit

Romance

3  

Rasmita Dixit

Romance

यादें

यादें

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इस बारिश में कुछ तो बात हैं

कही अनकही

ढूँढने  जाऊं तो 

खिलखिलाकर हाथ से 

फिसल जाती है

उस तितली की तरह 

जिसे उड़ा दिया था मैंने 

कई साल पहले 

छुपा दिया था 

सबकी नजरो से ,

याद आती है अब

भूले बिसरे गीत की तरहा 

बस सुर को पकड़ने की देर है 

कुछ गुमसुदा पलों को

ताजा करना है 

कुछ भूलना और भुलाना है 

इस बारिश  की बूंदों में 

कुछ तो कशिश अभी बाकी है ।


ना भूल  पाएं उन यादों की गलियों को

जो बह गए थे उस दिन 

कागज की नाव में 

नन्ही नन्ही बारिश की बूंदों में - - -

अपने हाले दिलका  

कुछ उलझे हुए अरमानों का

दास्तां बहा दिया था  

हमे पता था 

उस नाव का ना कोई 

ठौर ठिकाना तब था 

ना अब भी है 

फिर भी बातें बहत सारी है 

जो सुनना है और सुनाना है 

इस बारिस की बूंदों में 

कुछ तो कशिश अभी बाकी है ।


गिरती है बारिस में टिप टिप टिप पानी 

सुनाती है किसी पायल के 

छम - छम - छम 

अल्हड़ पन में उलझा हुआ 

किसी पैरों के दबी दबी आहट 

लगती है मुझको जानी पहचानी 

अरे ....ये तो मेरी ही साया है 

जिसे मैने सुला दिया था 

अपनी चाहत और अरमानों को 

दफना  कर 

बांध लिया था पैरों में बेडी 

 ओ  आज भी  

जब जब आसमान से 

 बूंदे गिरते हैं                   

मेरी हर कोशिश को

नाकाम बना कर 

 जाग जाती है 

निकल आति है 

मुझे कहती है 

आओ आज जरा भीगना है 

और भिगाना है 

क्योंकि आज भी इस बारिश की बूंदों में 

कुछ तो कशिश बाकी है ।


 


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