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Neha Prasad

Tragedy Romance

5.0  

Neha Prasad

Tragedy Romance

एक अपना पराया सा लगा

एक अपना पराया सा लगा

1 min
586


मुद्दतो बाद आज ऐसा लगा

एक अपना भी पराया सा लगा।


मेरी कश्ती का किनारा है वो

मेरे मुस्कान की वजह है वो

ढलते हुए उम्मीदों को फिर रौशनी देना

एक आँसू क्या निकले

तो हंसाने की हर कोशिश कर जाना

ऐसा है वो

पर देखो ना

मुद्दतो बाद आज ऐसा लगा

एक अपना भी पराया सा लगा।


नहीं कहा था मैंने उसे, रहो तुम साथ मेरे

ना ही मैंने ये कहा की मुझे रहना हैं साथ तुम्हारे

बया ना हुआ कुछ

पर जानता था वो

बिना बोले समझ जाना

ऐसा हैं वो

पर देखो ना

मुद्दतो बाद आज ऐसा लगा

एक अपना भी पराया सा लगा।


ख़्वाबों की दुनिया में रहके भी

हक़ीक़त से वाक़िफ़ रहना

अलग हैं हम दोनो की मंज़िल

पर फिर भी हैं साथ रहना

जब तक हैं साथ

वहीं उसे हैं निभाना

ऐसा कहता हैं वो

पर देखो ना

मुद्दतो बाद आज ऐसा लगा

एक अपना भी पराया सा लगा।


तुम दूर तो नहीं गए

पर एहसास दूरी का हुआ

हलचल भरी ज़िंदगी में भी

एक ख़ालीपन सा महसूस हुआ

शिकस्त कुछ ऐसी मिली

की रातों की नींद उड़ गयी

साथ तुम्हारा क्या खोया

ज़िंदगी अधूरी सी हो गयी

क्योंकि, मुद्दतो बाद आज होश आया

की अपना भी पराया आख़िर हो गया।



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