अपने ही ख़ून में भेदभाव !
अपने ही ख़ून में भेदभाव !
पापा,
बेटे को आगे देखने के लिए आप इतनी उम्मीद लगा बैठे,
की अब जब वो पूरे नहीं हुए सपने तो आँसू बहा बैठे।
एक दफा अपनी बेटी पे भरोसा ही कर लेते,
तो शायद आप अपनी उम्मीद पूरी कर पाते।
फिर भी आपकी बेटी में हिम्मत है,
उसे किसे के भरोसे पर नहीं बल्कि खुद में विश्वास है।
पूरी करेगी ज़रूर वो आपकी उम्मीद जो अपने बेटे से लगाए हैं,
क्योंकि आपकी बेटी आपके बेटों से होशियार है।
उसे नहीं बनना बेटा आपका,
बेटों ने तो ग़म दिए हैं।
आज बेटी बनकर ही उसने,
आपकी आँखों में खुशी के आँसू दिए हैं।
जिसे बेटी सोचकर आपने उस पर ध्यान नहीं दिया,
आज उसी बेटी ने आपका नाम रोशन किया।
बस दुःख इस बात का है कि,
आपने बेटे और बेटी में भेदभाव कर दिया।
और बेटी को हर जगह अकेला कर दिया।