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Neha Prasad

Drama

5.0  

Neha Prasad

Drama

एक आरज़ू है बस

एक आरज़ू है बस

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एक आरज़ू है बस !

आए कभी वापस तो,

मत पूछना मेरा हाल,

क्योंकि पहले ही आपने,

मेरी रूह को,

मेरे जिस्म से अलग कर,

मुझे मरीज़ बना दिया था।


वो तो शुक्रगुज़ार हूँ,

उस दोस्त का जिसने,

जीना सिखा दिया !


एक आरज़ू है बस !

वो टूटे दिल से निकले,

आँसू में लिपटे बातों को,

ठीक करने की,

कोशिश मत करना।

उस वक़्त जब मेरे आँसू,

बयान कर रहे थे दर्द,

तब कहा थी वो फ़िक्र।


वो तो शुक्रगुज़ार हूँ,

उस दोस्त का जिसने,

मेरे आँसू को पोंछ,

मोती बना दिया।


एक आरज़ू है बस !

कभी महसूस हो मेरा,

प्यार तो वापस,

बयान ना करना।

तोड़ के जो चल दिए थे,

दिल जिसमें बसेरा था आपका,

आज भी वो टुकड़ों में है।


वो तो शुक्रगुज़ार हूँ,

उस दोस्त का जिसने,

टुकड़ों में बिखरे दिल को,

प्यार करना सिखा दिया।


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