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Shivam Rao

Drama

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Shivam Rao

Drama

माँ के हाथ का खाना

माँ के हाथ का खाना

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मेरा पसंदीदा भोजन है माँ के साथ से कुछ

बिना सब्जी का नाम जाने खाता जाता था

पर माँ के हाथ की बनी सवैया मुझे

खाने मैं बहुत मजा आता था


वो सवैया खाने के लिए मैं रोज

ही दूध पीकर स्कूल जाता था

दूध मुझे न भाता था फिर भी

सवैया खाने के लिए पी जाता था


फिर वो समय के अपना चक्कर चलाया

मैं माँ से ओर उसकी याद के साथ होस्टल आया

इस हॉस्टल की दुनिया में जीने का तो मजा आता था

लेकिन रात को माँ के हाथ का खाना बहुत रुलाता था


माँ तेरे हाथ की सवैया बहुत याद आ रही कह कर

रात को फोन बात करते करते सो जाता था

उनके सामने तो खोलकर रो भी नहीं पाता था


आज 5 साल हो गए माँ से दूर फिर भी

जब जाता हो मम्मी सवैया बना दो कहकर

चुप हो जाता हूँ बाहर से मुस्कराता हूँ

ओर अंदर से रोता जाता हूँ।


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